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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंडक नदी में श्रद्धालुओं ने लगायी डुबकी

पटना (मनीष कुमार)। बिहार के वैशाली और सारण जिले की सीमा पर बह रही गंडक में हाजीपुर तथा सोनपुर में श्रद्धालुओं ने अहले सुबह से ही गंडक नदी के तट पर स्थित घाटों पर डुबकी लगायी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर एक दिन पहले से नदी किनारे आकर कल्पवास कर रहे लोगों ने सूर्योदय के पहले ही पवित्र डुबकी लगायी। हाजीपुर में कोनहारा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। ऐसी मान्यता है कि कोनहारा घाट पर इसी दिन भगवान विष्णु ने गज और ग्राह के युद्ध को समाप्त कराया था। जिसमें उन्होंने अपने भक्त गज की पुकार ग्राह का वध किया। जिसके बाद गज को मुक्ति मिली थी। एक अन्य दंत कथा में ग्राह को भगवान शंकर का भक्त कहा जाता है, जिसके कारण सोनपुर में हरि और हर दोनों अर्थात हरिहर नाथ का मंदिर स्थित है। इसी के उपलक्ष्य में गंगा स्नान की परम्परा शुरू हुई। इसके बाद सोनपुर के काली घाट समेत अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही, तो हाजीपुर के कदंब घाट, सीढ़ी घाट, क्लब घाट समेत अन्य घाटों पर भक्तों ने स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की। कोनहारा घाट समेत नदियों में स्नान करने से वंचित लोगों ने घरों पर ही स्नान और पूजा अर्चना की।

हर-हर महादेव और हर–हर गंगे की आवाज सुबह से ही गूंजने लगी। जिससे घाटों पर एक रूमानी सुबह का नजारा भी लोगों को देखने को मिल रहा था। सूर्य की लालिमा जब आकाश में दिखी तो श्रद्धालुओं ने उन्हें नमस्कार किया और सुख तथा समृद्धि की कामना की।  साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करने की परम्परा का निर्वाह किया। वाराणसी, इलाहाबाद, कलकत्ता का गंगा सागर समेत देश के अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान-पुन किया।  इसी दिन से शुरू होने वाला विश्व प्रसिद्ध मेला इस बार नहीं लग रहा है जिससे लोग परेशान हो उठे हैं अन्यथा महिलाएं स्नान करने के बाद मेला का आनंद उठाती थीं और वहां से घर-परिवार में काम आने वाली कई सामानों की खरीदारी करती थीं। जिससे ग्राहक और विक्रेता दोनों को लाभ होता था। निजी स्तर पर लोगों ने मेले को एक स्वरूप देने का प्रयास किया है। जिससे बाहर के कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजायी हैं। इसके कारण मेले में  कुछ रौनक है लेकिन सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं किये जाने का लोगों को मलाल भी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर सरकार चाहती तो मेले को लगाया जा सकता था और इससे क्रेता और विक्रेता दोनों को लाभ पहुंचता।

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