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केन्द्र सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का लिया निर्णय

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज देव दीपावली का पावन पर्व है। मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्‍चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्‍या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्‍य खुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए।

गुरु नानक देव जी का भी पवित्र पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्‍व भर में सभी लोगों को और सभी देशवासियों को इस पावन पर्व पर हार्दिक बधाई देता हूं। यह भी बहुत सुखद है कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है। उन्होंने कहा कि अपने पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को उनकी चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है महसूस किया है। इसलिए जब देश ने मुझे 2014 में प्रधान मंत्री के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास किसान कल्‍याण को सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी।

श्री मोदी ने कहा कि इस सच्‍चाई से बहुत लोग अंजान हैं कि देश के सौ में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास दो हेक्‍टेयर से भी कम जमीन है। आप कल्‍पना कर सकते हैं इन छोटे किसानों की संख्‍या 10 करोड़ से भी ज्‍यादा है। उनकी पूरी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। यही उनकी जिंदगी होती है और इस छोटी.सी जमीन के सहारे ही वो अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं। पीढ़ी – दर – पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा इस जमीन को और छोटा कर रहा है।

इसलिए देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया है। सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया सॉयल हेल्थ कार्डए माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा है। हमने 22 करोड सॉयल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए हैं और इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍शन भी बढ़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया है। उसके दायरे में ज्‍यादा किसानों को लाए हैं। आपदा के समय ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों को आसानी से मुआवजा मिल सकेए इसके लिए भी पुराने नियम बदले। इस वजह से बीते चार साल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा हमारे किसान भाई.बहनों को मिला है। हम छोटे किसानों और खेत में काम करने वाले श्रमिकों तक बीमा और पेंशन की सुविधाओं को भी ले आए हैं। छोटे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सीधे उनके बैंक खातों में एक लाख 62 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किएए सीधे उनके खाते में।

किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने अपने को मजबूत किया। हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए हैं। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश की एक हजार से ज्‍यादा मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक प्‍लेटफॉर्म दिया है। और इसके साथ ही देश भर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर भी हमने करोड़ों रुपये खर्च किए।

केंद्र सरकार का कृषि बजट पहले के मुकाबले पांच गुना बढ़ गया है। हर वर्ष सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि पर खर्च किए जा रहे हैं।

छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हजार किसान उत्‍पादक संगठन बनाने का अभियान भी जारी है। इस पर भी करीब सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अब पशुपालकों को मछली पालन से जुड़े हमारे किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलना शुरू हो गया है। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में हर संभव कदम उठा रही हैए लगातार एक के बाद एक नए कदम उठाती जा रही है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरे उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत हो इसके लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है।

किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद था कि देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। बरसों से ये मांग देश के किसान देश के कृषि विशेषज्ञ देश के कृषि अर्थशास्‍त्री देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन भी किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत कियाए समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत.बहुत आभारी हूं धन्‍यवाद करना चाहता हूं।

हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित मेंए देश के हित में गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए पूरी सत्यनिष्ठा सेए किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से शुद्धए किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए हैं।

भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था लेकिन फिर भी ये हमारे लिए महत्‍वपूर्ण था। कृषि अर्थशास्त्रियों ने वैज्ञानिकों ने प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास भी किया। हम पूरी विनम्रता से खुले मन से उन्‍हें समझाते रहे। अनेक माध्‍यमों से व्‍यक्तिगत और सामूहिक बातचीत भी लगातार होती रही। हमने किसानों की बातों को उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी।

कानून के जिन प्रावधानों पर उन्‍हें ऐतराज था सरकार उन्‍हें बदलने के लिए भी तैयार हो गई। दो साल तक हमने इन कानूनों को सस्‍पैंड करने का भी प्रस्‍ताव दिया। इसी दौरान ये विषय माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के पास भी चला गया। ये सारी बातें देश के सामने हैं इसलिए मैं इनके अधिक विस्‍तार में नहीं जाऊंगा।

श्री मोदी ने कहा कि गुरू नानक जी ने कहा है. विच्‍च दुनिया सेव कमाइए ता दरगाह बैसन पाइए। यानी संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। ना जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं। भारत आज उन सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है।

 

आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। ये समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का करने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को त्मचमंस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

मैं आज अपने सभी आंदोलनरत किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूंए आज गुरु पर्व का पवित्र दिन है। अब आप अपने.अपने घर लौटेंए अपने खेत में लौटेंए अपने परिवार के बीच लौटें। आइए एक नई शुरूआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।

आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिएए देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिएए एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए ऐसे सभी विषयों परए भविष्य को ध्यान में रखते हुएए निर्णय लेने के लिएए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगेए किसान होंगे कृषि वैज्ञानिक होंगे कृषि अर्थशास्त्री होंगे।

हमारी सरकार किसानों के हित में काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी।

 

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