पटना : कोरोना वायरस के दहशत के बीच बिहार के नियोजित शिक्षक वेतन नहीं मिलने से मायूस हैं। शिक्षकों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कुछ शिक्षकों को वेतन दे दिया लेकिन जिन शिक्षकों ने 25 दिन काम किया है वह अभी बकाया है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रमंडलीय सह संयोजक आलोक आजाद ने सरकार के नियोजित शिक्षकों को वेतन देने संबंधी आदेश को हड़ताली शिक्षकों के साथ कोरोना आपदा की स्थिति में क्रुरतम मजाक तथा बदले की कार्रवाई वाला पत्र कहा है।
मीडिया से दूरभाष पर वार्ता करने के बाद सह संयोजक ने कहा कि कल जारी किये गये पत्र में विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने स्वीकार किया है कि पूरे भारत में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। जबकि दूसरी ओर दूसरी ओर आदेश दिया है कि फरवरी माह का वेतन उन्हीं शिक्षकों को दिया जाए जो हड़ताल में शामिल नहीं थे और उनकी ओर से इंटरमिडिएट तथा माध्यमिक परीक्षा का मुल्यांकन किया गया है। जो उनका तुगलकी फरमान है।
श्री आजाद ने कहा कि बिहार के सभी माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षक बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर 24 फरवरी तक अपने कार्यों का निर्वहन कर 28 फरवरी से हड़ताल पर गये थे। उन हड़ताली शिक्षकों के वेतन को जान बुझकर रोककर संवैधानिक प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा की शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की ओर से कक्षा एक से बारहवीं तक के शिक्षकों के लिए जनवरी तक का हीं वेतन देने का आदेश उनके पहले के विभागीय आदेश पर प्रश्र चिन्ह खड़ा करता है। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से कई बार पूर्व में पत्र निकाला जा चुका है। जिस पत्र में यह उल्लेखित है किया है कि किसी भी शिक्षक के कार्यरत अवधि का वेतन भुगतान किसी भी परिस्थिति में नहीं रोके जाने की बात अंकित है। साथ हीं भारत सरकार के श्रम मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भेजें गये पत्र में यह अंकित है कि किसी भी वेतनभोगी को उनके कार्यरत अवधि के वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि आर्थिक अभाव में वो कोरोना महामारी को चुनौती नहीं दे सकते हैं।
सह संयोजक ने कहा कि आज जैविक आपदा के इस दौर में नियोजितो को कई मोर्चो पर संघर्ष करना पङ रहा है। कोरोना से बचाव की चुनौतियों के साथ राज्य सरकार की असंवेदनशील नीतियों से भी शिक्षकों को जूझना पङ रहा है। शिक्षकों के जीवन और आजीविका की रक्षा करना भी तो सरकार का हीं कर्तव्य है। बावजूद हम हड़ताली शिक्षकों को वेतन नहीं देकर हमें भूखे पेट परिवार सहित कोरोना से लड़ने के लिए छोड़कर प्रधान सचिव देशवासियों को यह संदेश देना चाहती है कि हमने हड़ताल पर गये शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश दिया है जबकी ज्यादातर माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों को जनवरी तक का वेतन पूर्व में प्राप्त है।
उन्होंने सरकार से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने तथा हड़ताली शिक्षकों को कार्यरत अवधि का वेतन भुगतान कर शिक्षकों के परिवार सभी शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को संकट से बचाए। साथ ही बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के साथ बैठक कर उसकी मांगों को मानकर हड़ताल समाप्त करवाए।