पटना : पांच वर्षों से सेवाशर्त जारी करने की जो बात सरकार ने कही है वह आज तक पूरी क्यों नहीं हुई। यह बात बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार नाथ पाण्डेय और महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने संयुक्त बयान जारी कर प्रदेश सरकार से पूछा है। दोनों नेताओं ने कहा है कि सरकार लगातार बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की मांग के प्रति अनसुना रवैया अपना रही है और शिक्षा मंत्री मीडिया के माध्यम से हड़ताल से वापस आने की बात कर रहे हैं। इससे साफ होता है कि शिक्षा विभाग अपनी नाकामियों पर पर्दा डालना चाहता है। शिक्षक संघ का कहना है कि पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने का वादा राज्य सरकार ने ही किया था।
उस वादे का भी कार्यान्वयन अब तक नहीं हुआ। शिक्षक संघ की मांगें तो गैर वित्तीय भी है। संघ ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि आखिर मांगों को मानने में क्या कठिनाई है। इससे यह साफ होता है कि सरकार शिक्षकों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय नहीं देना चाहती है, वह सिर्फ दिखावा कर रही है। ऐसे दिखावे से शिक्षक हड़ताल से वापस नहीं आने वाले है।
जब तक सम्मानजनक तरीके से वार्ता के जरिये पहल नहीं की जायेगी और सारी दमनात्मक कार्रवाइयां वापस नहीं होंगी। हड़ताल अवधि का सामंजन करते हुए भुगतान की व्यवस्था नहीं की जायेगी, तब तक हड़ताल से वापस आने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। दोनों नेताओं ने कहा है कि वैश्विक महामारी में सरकार से अपील हैं कि वार्ता के माध्यम से हड़तालजनित समस्या का समाधान जल्द निकाला जाये। शिक्षक मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों का लगातार निर्वहन कर रहे हैं। जागरूकता अभियान और गांवों में सेनिटाइजर, मास्क जैसे सामानों को बांटने संबंधी अपने दायित्वों का भी निर्वहन कर रहे हैं और यही अपेक्षा सरकार से भी कर रहे हैं। सरकार अपने जनतांत्रिक स्वरूप का परिचय देते हुए सम्मानजनक वार्ता संगठनों से करके इसका निदान निकालें।
हड़ताल को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर सारण प्रमंडलीय सह संयोजक आलोक आजाद ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना वायरस पर शिक्षकों को मानवीयता का पाठ पढ़ा रही है लेकिन शिक्षक भूख से तड़प रहे हैं वहां पर मानवीयता गायब कर रही है। जो शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री अविलम्ब शिक्षकों की मांगों को पूरा करें। जिससे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौट सके।