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पुस्तकालयाध्यक्षों के पदों को विविध शिक्षक संवर्ग में शामिल करें

पटना : माध्यमिक और उच्च माध्यमिक पुस्तकालयाध्यक्षों के पदों को विविध शिक्षक संवर्ग में घोषित किया जाये। साथ ही अन्य शिक्षकों के अनुरूप वरीयता और प्रोन्नति का लाभ दिया जाये। यह मांग बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रमंडलीय सह संयोजक आलोक आजाद ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से की है।

वैशाली जिले के हाजीपुर शहर में स्थित बुद्धा कालोनी में पुस्तकालयाध्यक्षों की एक बैठक को में श्री आजाद ने कहा कि शिक्षा विभाग की अधिसूचना में पुस्तकालयाध्यक्षों को शिक्षकेतर कर्मी माना है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थान और नगर निकाय में नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवा शर्त नियमावली अधिसूचना में पुस्तकालयाध्यक्षों को प्रोन्नति तथा वरियता का लाभ देने का कोई प्रावधान नहीं है, जबकी बिहार के शिक्षा विभाग ने वर्ष 2013 के अपने पत्र में माना है कि पुस्तकालयाध्यक्षों का पद गैर शैक्षणिक नहीं है। इसके बाद भी वरीयता का लाभ नहीं मिल रहा है। पुस्तकालयाध्यक्षों को नये नियोजन नियमावली 2020 में गैर शैक्षणिक कर्मी के रूप में भी अधिसूचित कर दिया गया है। जिससे राज्य के सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक पुस्तकालयाध्यक्षों में गहरा असंतोष है।

आलोक ने कहा कि भारत सरकार के विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों में इसी योग्यता को रखने वाले पुस्तकालयाध्यक्षों को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के अनुरूप मान्यता दे दी गई है। उनके लिए विविध शिक्षक संवर्ग का गठन भी किया गया है। जिसमें शारीरिक शिक्षक, संगीत शिक्षक और कला शिक्षकों को शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मानव संसाधन विभाग ने भी पुस्तकालयाध्यक्षों के पदों को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के अनुरूप विविध शिक्षक संवर्ग में शामिल किया है। केन्द्र और राज्य के विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विद्यालयों, उड़ीसा सरकार के साथ-साथ अन्य राज्यों ने भी पुस्तकालयाध्यक्षों के पदों को शिक्षक संवर्ग में शामिल कर दिया है।

बैठक में संतोष कुमार, मिथिलेश ठाकुर, अनील पंडित, उत्तम कुमार, जितेंद्र सिंह सहित सभी पुस्तकालयाध्यक्षों ने राज्य सरकार से पुस्तकालयाध्यक्षों के पदों‌ को अविलंव शैक्षणिक संवर्ग में शामिल करने का अनुरोध किया।

 

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