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ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली तलवारबाज बनीं भवानी देवी

नई दिल्ली : तलवारबाज़ भवानी देवी ने कहा कि वह टोक्यो ओलंपिक-2020 में अपना  सर्वश्रेष्ठ  प्रदर्शन  देने के लिए उत्सुक हैं। ओलंपिक खेलों के  लिए क्वालिफाई करने  वाली पहली भारतीय तलवारबाज़ बनकर  इतिहास रचने वाली  भवानी ने कहा कि  यह पहली  बार  होगा   जब हमारे देश के ज्यादातर लोग तलवारबाजी देखेंगे और मुझे खेलते हुए देखेंगे।  इसलिए मैं उनके सामने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दूंगी।”

इस वर्ष मार्च में बुडापेस्ट विश्व कप के बाद समायोजित आधिकारिक रैंकिंग (एओआर) पद्धति के

माध्यम  से कोटा  हासिल करने के बाद,  चेन्नई की 27 वर्षीय भवानी  ने  बांस के डंडे  से प्रशिक्षण  लेकर अपने  करियर की शुरुआत की थी।  ओलंपिक में  भारत का  प्रतिनिधित्व करने वाली पहली तलवारबाज़ बनने पर उत्साह का भाव भवानी ने नहीं खोया है।

मौजूदा कोविड-19 स्थिति को देखते हुए और टूर्नामेंट रद्द होने की संभावना के साथ, भवानी देवी को  ओलंपिक खेलों के लिए रवाना होने से पहले इटली में प्रशिक्षण जारी रखने की उम्मीद है। अप्रैल में

लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना में शामिल होने वाली, भवानी अब मई के महीने में तीन सप्ताह के  शिविर में भाग ले  रही हैं,  जहां वह इटली की राष्ट्रीय टीम के साथ प्रशिक्षण ले रही हैं।

भवानी देवी के दिवंगत पिता एक पुजारी थे और माँ एक गृहिणी हैं। भवानी हर कदम पर अपने माता-पिता से मिले समर्थन के लिए आभारी हैं। उन्होंने बुधवार को भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से आयोजित  मीडिया से बातचीत में कहा,”केवल अपने माता-पिता की वजह से,  मैं कठिनाइयों को दूर  कर आगे बढ़ने में सफल हुई हूँ।”

“मेरी माँ ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया। वह मुझसे हमेशा कहती हैं, “अगर आज अच्छा नहीं है,  तो   कल ज़रूर बेहतर होगा। यदि आप सौ प्रतिशत देते हैं, तो आप निश्चित रूप से उसके परिणाम प्राप्त करेंगे।” भवानी देवी ने कहा,”यहां तक ​​कि कोविड -19 के उपचार  दौरान भी अस्पताल  के बिस्तर से  उन्होंने मुझे अपने सपने पर ध्यान केंद्रित करने और  घर वापस लौट कर उनकी  देखभाल करने की  बजाय, बुडापेस्ट विश्व कप में खेलने के लिए कहा था।”

भवानी देवी ने कहा कि जब ओलंपिक के लिए योग्यता प्राप्त करना दूर का सपना लग रहा था, तब लोगो ने उससे तलवारबाज़ी जारी रखने से मना कर दिया था, लेकिन उसके माता पिता ने  उसे आगे  बढ़ने   के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होने कहा, “जब  मेरी  रैंकिंग  योग्यता  के करीब  नहीं थी, तो  लोग पूछते  थे कि वह इतना समय क्यों लगा रही है खेल में। वह एक महिला है, वह शिक्षा प्राप्त कर सकती है और कुछ नौकरी पाने की सोच सकती है। मुझे बाहर से प्रोत्साहन नहीं मिला, लेकिन मेरी माँ और  पिता ने मुझे चिंता न करने के लिए कहा।”

युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने 2019-20 में 16.94 करोड़ रुपये के बजट के साथ  वार्षिक कैलेंडर  ऑफ़ ट्रेनिंग एंड कॉम्पिटिशन (एसीटीसी) के माध्यम से भारतीय तलवारबाज़ी संघ का समर्थन  किया  है। लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना-टॉप्स में शामिल होने से पहले,  भवानी देवी को एसीटीसी के  तहत 20 लाख रुपये का विशेष अनुदान मिला है ।  ओलंपिक तक उसके कोचिंग शुल्क और विशेष उपकरणों की खरीद के लिए, मिशन ओलंपिक सेल ने भी 19.28 लाख रुपये मंजूर किए हैं।

 

 

 

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