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तालिबान के सह-संस्थापक बरादर के अफगानिस्तान की नई सरकार का नेतृत्व करने की सम्भावना

नई दिल्ली : तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार के नेतृत्व करने की सम्भावना बन गयी है। सूत्रों के अनुसार इनके लड़ाकों ने एक बड़ी लड़ाई लड़ी है ऐसी मान्यता है। मुल्‍ला बरादर तालिबान के संस्‍थापकों में से एक सदस्‍य रहे हैं। उन्‍हें 2010 में पाकिस्‍तान के कराची में सुरक्षाबलों ने हिरासत में लिया था।  अफगानिस्तान के एक नागरिक ने बताया कि नयी सरकार को सबसे पहले सूखे से परेशान अर्थव्यवस्था को सम्भालने की जिम्मेदारी होगी। पिछले बीस साल से लड़ रहे तालिबान को सम्भलना होगा और कुछ परेशानियों से भी जूझना होगा। सूत्रों के अनुसार तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख बरादर के साथ तालिबान के दिवंगत सह-संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और सरकार में वरिष्ठ पदों पर शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिक जई के शामिल होने की भी सम्भावना है। अफगानिस्तान के एक नागरिक ने बताया कि सभी शीर्ष नेता काबुल पहुंच गए हैं, जहां नई सरकार की घोषणा करने की तैयारी की जा रही है। इस बीच, तालिबान और अहमद मसूद के लडाकों के बीच पंजशीर घाटी में लडाई चल रही है। दोनों पक्षों का दावा है कि उसने बडी संख्‍या में अपने विरोधियों के लड़ने वालों को मार दिया हैं। पंजशीर अफगानिस्‍तान का अंतिम प्रान्‍त है, जो तालिबानी शासन का विरोध कर रहा है। जानकारी के अनुसार मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में क्षेत्रीय मिलिशिया के कई हजार लड़ाके और सरकार के सशस्त्र बलों के अवशेष बीहड़ घाटी में जमा हुए हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि किसी समझौते पर बातचीत करने के प्रयास विफल हो गए हैं, प्रत्येक पक्ष विफलता के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहा है। तालिबान ने जहां आम सहमति वाली सरकार बनाने की अपनी इच्छा की बात कही है, वहीं इस्लामी उग्रवादी आंदोलन के एक करीबी सूत्र ने कहा कि अब जो अंतरिम सरकार बन रही है, उसमें केवल तालिबान के सदस्य होंगे। सूत्रों ने कहा है कि नयी सरकार में 25 मंत्रालय बनाये जाने की सम्भावना है, जिसमें 12 मुस्लिम विद्वानों की सलाहकार परिषद या शूरा होगी।

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