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पर्यावरण बचाना है तो पौधों से दोस्ती करनी ही होगी : रामवीर

 

पटना : जुनून हो तो कुछ भी मुमकिन है। बिहार के वैशाली जिले के नर्सरी संचालक सह किसान रामवीर चौरसिया की यह कहानी है। बचपन से कुछ कर गुजरने की तमन्ना श्री चौरसिया को थी। पौधे और खेत ने उन्हें हमेशा आकर्षित किया तथा हर किसी से स्वरोजगार ही सही है, की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया। पौधों से दोस्ती कर ली और उनमें अपना जीवन खोज लिया। छत पर फूल की खेती से शुरू कार्यक्रम अब एक नये मुकाम की ओर चल पड़ी है। हर किसान मेला और नर्सरी तथा पेड़-पौधों से दोस्ती उन्हें हर दिन एक नया आयाम दे रही है। बिहार के कृषि विश्वविद्यालयों में इनके पौधों की धूम है। हर पौधे की जानकारी श्री रामवीर के पास है। किस पौधे में कितना खाद और पानी चाहिए इन्हें पूरी जानकारी है। पौधों की कटाई और छटाई कैसे करें, उनमें फल कब आयेंगे और किस मौसम में कौन सा पौधा लगाना चाहिए कोई इनसे सीखे।

सोनपुर मेला 2022 के कृषि प्रदर्शनी में रामवीर ने अपना स्टॉल लगाया है। जिस पर सोनपुर मेला घूमने आये विदेशी सैलानी भी पहुंचे हैं। उन्होंने एक-एक पौधे की जानकारी ली। कपूर और सिन्दूर का पौधा, लौंग और काली मिर्च के पौधों ने विदेशियों को काफी आकर्षित किया। लैला-मंजनू की कहानी कौन नहीं जानता, श्री चौरसिया ने उस पौधे को अपने स्टॉल पर रखा है। मेला घूमने आने वाला  वाला हर व्यक्ति इसे देखना नहीं भूलता है। जिसके पत्ते लैला और मंजनू के कभी नहीं मिलने की कहानी कहते हैं। इसके पत्ते का उपरी भाग हरा और निचला भाग लाल होता है।

 

श्री चौरसिया कहते हैं कि वर्तमान समय में हर घर में एक पौधा होना चाहिए। खराब हो रहे पर्यावरण और प्रदूषण से बचना है तो पौधों को बचाना होगा। तभी जीवन बचेगा। उनका कहना है कि शहरों में हर घर में इतनी जगह है कि कम से कम एक तुलसी के साथ एक दो अन्य पौधे गमले में भी लगा कर रखे जा सकते हैं। उनका कहना है कि सरकार भी इस मामले में जागरूक हो रही है, लेकिन हर व्यक्ति के मदद के बिना यह काम मुश्किल है। रामवीर कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पेड़-पौधों को बचाने का प्रयास करना होगा।

 

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