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बिना उपकरण और प्रयोगशाला के बिहार में शुरू हुई इंटर की प्रायोगिक परीक्षा

कई विषयों की परीक्षा वगैर शिक्षक के दे रहे परीक्षार्थी

पटना : एक फिल्मी गीत है पैसे दो जूते लो, लेकिन बिहार के स्कूलों में पैसे दो प्रायोगिक परीक्षा में नम्बर लो का सरगम बज रहा है। 09 जनवरी 2021 से शुरू इंटर की प्रायोगिक परीक्षा में इसका नजारा आसानी से दिख रहा है। राज्य में लगभग नौ लाख बच्चे प्रायोगिक परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। जिसमें विज्ञान संकाय में लगभग चार लाख 45 हजार और कला और वाणिज्य संकाय को मिला कर लगभग पांच लाख परीक्षार्थी भाग लेंगे। वैशाली जिले के महुआ अनुमंडल में स्थित वैशाली उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में लगभग पांच सौ परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं।

विद्यालय में मात्र एक विज्ञान शिक्षक हैं। जिनके भरोसे छात्र परीक्षा देंगे। विद्यालय में प्रयोगशाला नहीं है। उपकरण नहीं है, जबकि छात्र इंटर पास भी कर जायेंगे, लेकिन विज्ञान में प्रयोग कैसे किया जाता है इसकी जानकारी नहीं होगी। अगर इसमें से कोई छात्र विज्ञान का शिक्षक बनेगा तो वह आने वाली पीढ़ी को क्या जानकारी देगा इसे आसानी से समझा जा सकता है। राज्य के कई विद्यालयों में तो स्थिति और गम्भीर है। इन विद्यालयों में गृह विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं लेकिन छात्रों ने नम्बर पाने के लिए इस विषय का चयन किया और पुरूष शिक्षकों के भरोसे नम्बर ले रहे हैं। अर्थात सब कुछ उलटापुलटा है।

पटना में हमारे संवाददाता को सारण जिले के रहने वाले राजाराम यादव ने बताया कि स्कूलों में शिक्षा नहीं है। बच्चों को केवल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। श्री यादव कहते हैं कि उनके जिले में कई विद्यालयों में जिस विषय के शिक्षक नहीं है उस संकाय में भी छात्रों का नामांकन करा दिया गया है और प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर उनसे मोटी रकम शिक्षक वसूल रहे हैं।

सरकारी विद्यालय कोचिंग संस्थानों को भी बढ़ावा दे रहे हैं। जब विद्यालय में संबंधित विषय के शिक्षक नहीं होंगे तो छात्र निश्चित तौर पर पढ़ाई के लिए कोचिंग संस्थानों का सहारा लेंगे, जबकि राज्य सरकार इस पर रोक लगाने के लिए हर रोज नये कानून लेकर आती है। दरभंगा के अशोक सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रायोगिक परीक्षा पूरी तरह माखौल बन कर रह गयी है। उनका कहना है कि इसकी पूरी जानकारी अधिकारियों से लेकर पदाधिकारियों तक को है,लेकिन सभी समय गुजार रहे हैं। हर वर्ष वहीं कहानी दुहारायी जा रही है। अर्थात बिहार के शिक्षा विभाग में सब कुछ उलटापुलटा चल रहा है।

 

 

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