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राजस्थान की आशा कार्यकर्ता गोगी देवी ने कोरोना के खिलाफ जगाया अलख

नई दिल्ली : राजस्थान में कोविड-19 के दौरान आशा कार्यकर्ता गोगी देवी सेवा करने और सामाजिक रूप से जागरूक करने, समुदाय स्तर पर देखभाल उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य सुविधा के लिए संपर्क कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका पूरी करने के रूप में जानी जा रही हैं। गांव में फसल कटाई का मौसम होने के कारण उसमें सहयोग नहीं करने पर परिवार की ओर से गोगी को आक्रोश भी झेलना पड़ा लेकिन वे अपने मकसद में जुटी रहीं। हार नहीं मानने वाली गोगी को पहली सफलता तब मिली जब ग्राम पंचायत के प्रधान ने सार्वजनिक रूप से उनकी सराहना की। इसके बाद उनके परिवार का दृष्टिकोण भी बदल गया। जिसके बाद लोगों ने भी उनकी प्रशंसा करनी शुरू की और मदद करना प्रारंभ कर दिया।

गोगी देवी समेत अन्य आशा कार्यकर्ताओं ने कोविड-19 के खिलाफ लक्षणों और सावधानियों के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने कोविड-19 को नियंत्रित करने एवं उसके प्रबंधन की सरकारी कोशिशों में सहायता करने के लिए लोगों के बीच विश्वास का संचार करने के लिए समुदाय के भरोसे और स्थानीय सामाजिक कारकों के ज्ञान का उपयोग किया।

राजस्थान में कोविड-19 के प्रत्युत्तर के एक अंतरंग स्तंभ के रूप में आशा कार्यकर्ताओं का कार्य इस वर्ष मार्च के आरंभ में जयपुर में कोविड के पहले मामले का पता लगने के तत्काल बाद आरंभ हो गया था। 8 मार्च को राज्य के सभी 9876 ग्राम पंचायतों ने एक विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया। जिसमें आशा कार्यकर्ताओं ने कोविड-19 के प्रसार के तरीकों, सावधानियों और नियंत्रण के उपायों को समझाने में अग्रणी भूमिका निभायी, क्योंकि उन सभी को इस सार्वजनिक गतिविधि की तैयारी में प्रशिक्षित किया गया था। यह रणनीतिक आरंभिक प्रयास उनके क्षेत्रों में रोकथाम और नियंत्रण के उपायों को सुनिश्चित करने में ग्राम पंचायतों का समर्थन हासिल करने तथा अपने कार्यों को बिना किसी बाधा के आरंभ करने में आशा कार्यकर्ताओं तथा अन्य अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं की सहायता करने में प्रमुख केंद्र बिन्दु था।

राज्य की आक्जीलरी नर्स मिडवाइव्स (एएनएम) की सहायता के साथ आशा कार्यकर्ताओं के योगदान ने सक्रिय निगरानी और सूचना प्रसार के लिए आठ करोड़ परिवारों में लगभग 39 करोड़ लोगों तक पहुंचने में सक्षम बनाया। इन सभी के बीच में तथा बिना लक्षण वाले लागों के प्रति सचेत रहते हुए, आशा कार्यकर्ताओं ने गर्भवती महिलाओं, नवजातों तथा बच्चों की देखभाल करने का कार्य भी जारी रखा। जहां एंबुलेंसों की उपलब्धता नहीं थी, वहां उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए परिवहन की व्यवस्था भी की।

 

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