पटना : बिहार में शिक्षकों की चल रही हड़ताल समाप्त हो गयी, लेकिन इसके बाद शिक्षक परेशान हो गये हैं। योगदान एक ऐसा शब्द बन कर उभरा जब 4 मई को हड़ताल के स्थगित होने के बाद 5 मई को योगदान देने की बात आयी। एक ओर केन्द्र और राज्य सरकार ने लॉकडाउन कर रखा है तो दूसरी ओर बिहार के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी और समकक्ष पदाधिकारी के समक्ष सदेह उपस्थित होकर योगदान करने का फरमान सुना दिया।
सबसे चकित करने वाला तथ्य यह उभरा कि शिक्षकों के संघ ने उन्हें नये जमाने के तकनीक पर आधारित व्हाटस एप पर विद्यालय प्रधान के पास योगदान करने का आवेदन भेजने का निर्देश दिया लेकिन शिक्षा विभाग ने उन्हें नया निर्देश थमा दिया। परेशान हाल शिक्षक बेहाल हो उठे। उनका कहना था कि कई शिक्षक और शिक्षिकाएं अपने पदस्थापना स्थल से सौ से दो सौ किलोमीटर दूर हैं।
इस लॉकडाउन में उन्हें वहां से निकलना मुश्किल है। सभी ने बिहार के शिक्षा विभाग से सवाल किया कि कैसे इस प्रकार का आदेश जारी किया गया यह समझ से परे है। जब रेल, बस और अन्य वाहनों के चलने पर पाबंदी है तो फिर कैसे शिक्षक कटिहार से बेगूसराय और बक्सर से नवादा पहुंचेंगे। सभी की जबान पर एक ही सवाल उभरा कि आखिर शिक्षा विभाग के पदाधिकारी इस प्रकार का आदेश कैसे जारी कर सकते हैं। कई शिक्षकों ने लॉकडाउन टूटने और वाहनों के चलने के बाद ही योगदान की तिथि तय करने की मांग की।
इधर, सारण जिले के प्रमंडलीय सह संयोजक आलोक आजाद ने कहा कि सरकार जल्द ही इस सम्बंध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने वाली है। जिसमें शिक्षकों को व्हाटसएप के माध्यम से ही अपने विद्यालय के प्रधानों को सूचित करना होगा। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सभी शिक्षक विद्यालय जा सकेंगे।